Friday, March 27, 2015

तुम्हारे महाप्रयाण की इस बेला में

                                                                       कलम से___

तुम्हारे महाप्रयाण की इस बेला में 
क्यों गुंथे ?
फूल रजनीगंधा के इस बेला में 

कुमकुम का श्रृंगार
पायल की झंकार,
चूड़ियों की खनकार
नवब्याहता सी वस्त्रों का अलंकार
क्यों पहने तुमने इस बेला में

तुम्हारे महाप्रयाण में
मेरे भी तो महाप्रयाण है
बसंत के गीत
फांगण में मनमीत
कब सजेंगे ?

महाप्रयाण से पूर्व सुनो प्रिये तुम
याद है तुमको
पलाश के पत्तों पर
मैं लिख लिख कर
झील में तैराता था
भींगे गेंसुओं को लहराकर
गीत शबनमी गाकर बौराता था
विदा घड़ी की इस बेला में
गीत चुने क्यों ? वो सब
अपने महाप्रयाण की इस बेला में

प्रज्ज्वलित अग्नि शिखा के स्पर्श से
तुमको वामांगी बनाया था
अब तुम्ही बताओ,
एकांकी बनकर कैसे जियूँगा ?
विरह की बेला में

सप्त वचनों की वेदिका को
मृत प्रायः करके तुम चली उम्र की इस बेला में 



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