Friday, March 27, 2015

मौसम बेईमान हो गया !


कलम से____

मौसम बेईमान हो गया !

अबके मौसम बेईमान हो गया
बादल बे मौसम ही बरस गया
सर्द रातों को ठिठुरता छोड़ गया
फूलों को खिलने से मना कर गया

मौसम बेईमान हो गया !

किसान के पेट पर लात मार गया
फसल पकी तैयार थी नष्ट कर गया
बिटिया के मण्डप को भिगो गया
अखिंयन में आँसू अपार दे गया

मौसम बेईमान हो गया !

त्योहारों के रंग फीके कर गया
होली के रंग बेरंग कर गया
टेसू न खिलें कुछ ऐसा कर गया
गुजिया की मिठास कम कर गया

मौसम बेईमान हो गया !

सब कुछ उल्टा पुल्टा कर गया
बयार बसंती मन पुलकित न करे
जाड़ा चैत्र में सताये रजाई छोड़ी न जाये
ज्योतिष व्याकरण को गलत कर गया

मौसम बेईमान हो गया !

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/




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  • Ram Saran Singh बात सही है । जब आस-पास का परिवेश बेईमान हो, हवा में बेईमानी बह रही हो, जल में बेईमान प्रदूषण प्रवाहित हो रहा हो, ख़यालों में ख़ामी तिल तिल घुल रही हो, आपसी संबंध बेईमानी की डोर से बँध रहे हों, तो बेचारे मौसम को अकेले दोष क्यों दिया जाए । सुबह का अख़बार देखिए तो पहले पृष्ठ से बेईमानी, लूट, हत्या, आत्महत्या, छल कपट, की शुरुआत होती है । तो बेचारा मौसम ही ईमानदार क्यों रहे । महोदय आपने विषय ही ऐसा छेड़ दिया कि मैं कुछ ज़्यादा लिख गया । But we should always have hope for light in the dark tunnel. Thanks Sir.
  • Rp Singh so beautiful poetry
  • Dinesh Singh बहुत ही खूबसूरत रचना श्रेष्ठ
  • BN Pandey Ker Rahe the Jaane Hum Allaah Se Kiskaa Gilaa... Aap Apanaa Sir Jhukaa Ke "Indrdeo" Kyu Pareshaa Ho gaye......
  • Sp Tripathi Anyone and everyone reading this poem shall be compelled to say Kya Likha. Bahut Khub.
  • Ajay Kr Misra Mausam ke bigde mizaz per bahut sunder prastuti, bahut khoob Sir.
  • Mohammed Mobin सुंदर रचना .
  • Rajan Varma बहुत उम्दा रचना- अौर सामायिक भी; 
    मौसम बेईमान हो गया,
    ज्योतिष व्याकरण को ग़लत कर गया;

    उस नौटंकीबाज़ के खेल है पुराने,
    अपनी कठपुतलियां नचा कर खुश होना;
  • SN Gupta बहुत ही सुंदर
  • Madhvi Srivastava each and every poem is beautiful and speechless!!!!!














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