Friday, March 27, 2015

यह ज़मी तेरी, रहने दे आसमान मेरा



कलम से____

ज़मीं को छोड़ दिया उनकी खातिर
फलक पर लिया है दम जाकर
करना है कर ले तू अब मरज़ी अपनी
यह ज़मी तेरी, रहने दे आसमान मेरा

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
 



दिल के उदगार कुछ यूँ निकले भूमि अधिग्रहण बिल पर 


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