Friday, February 6, 2015

आओ बैठो साथ मेरे पल दो पल यह मौके हर रोज़ नहीं मिलते जब यह धूप सुहानी सी लगे

कलम से____
सूरज की चमक से
आँखे चुधिंया गईं हैं
दूर है बहुत
पर
आज अच्छा लगता है
बदन सिकता हुआ
बसंती ब्यार में
महका महका सा लगता है
आओ बैठो साथ मेरे
पल दो पल
यह मौके हर रोज़ नहीं मिलते
जब यह धूप सुहानी सी लगे
चेहरे धूप में ऐसे न कभी दिखेंगे
धूप से ढ़क कर इससे बचेंगे
काश मौसम के मंसूबे बदल जाएं
बसंती धूप की दोपहरी
कुछ दिनों के लिए ठहर जाए..
कैसी अजीब फितरत है इन्सान की
कभी खराब कभी भली लगती है धूप भी
मौसमी फितरत के यह रंग निराले हैं
कभी बरसात तो कभी धूप के लाले हैं
हम भी देखो कितने नसीब वाले हैं
गरमी सरदी बरसात से भरे परनाले हैं।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ajay Kr Misra Bahut khoobsurat chitran, mausam ke bhinn bhinn roop samay per hi suhaten hain.
    Subhprabht, Sir.
  • Ram Saran Singh महोदय बदलते मौसम के साथ रंग बदलने में ही बेहतरी है । धन्यवाद ।
  • Rajan Varma ये भारतवसियों के अच्छे हैं कर्म,
    देखने को मिलते हैं मौसम के छःछः रंग;
    नहीं तो आना पड़ता यूके, यूएस से हर साल,
    ...See More
  • BN Pandey Jai Shri Radhe Radhe Sabhi Saathiyo ko.. Varma Saab Mausam kaa Anand Bhi kuchh Aur Hai... Pichale kuchh saalo Se hum Es Mausam me purvaachal Se palaayan Ker Ke Samudri Elaake me Sharan me let's Hai lekin yahaa aaker phir Home- Sickness Shuru ho Jaataa Hai.... Aaj kal Vizag me deraa daale hu... Aap logo kaa sneh paa Ker mai Dhany ho Jaataa hu.... Suprabhat..
  • Baba Deen bahut sundar
    18 hrs · Unlike · 1

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