Friday, February 6, 2015

तुम्हारे ज़ेहन में शायद मेरी याद भी न आए, तुमसे कभी----

कलम से____
तुमसे कभी अचानक मुलाकात हो जाए,
तुम पहचानने की क्या कोशिश भी करोगे,
तुम्हारे ज़ेहन में शायद मेरी याद भी न आए,
तुमसे कभी----
गांव के बरगद के पेड़ की तरह हो गया हूँ मैं,
खड़ा हूँ दूसरों की जिन्दगी के लिए,
अक्सर लोग मेरी शीतल छाया का आनंद उठाते हैं,
कभी कुछ परिन्दे मेरी ड़ाल पर बैठ थकान मिटाते हैं,
किसी का आदर्श हूँ मैं,
कुछ लोग त्योहार में जल भी चढ़ा जाते हैं।
मेरा सीना गर्व से फूला नहीं समाता,
हरेक इन्सान पास मेरे जब है आता।
इतना सब होते हुए भी एक गम है मुझे सताता,
तुमसे कभी अचानक मुलाकात हो जाए
तुम पहचानने की क्या कोशिश भी करोगे,
तुम्हारे ज़ेहन में शायद मेरी याद भी न आए,
तुमसे कभी----
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ajay JainSN GuptaSudarshan Saw and 10 others like this.
  • BN Pandey Sir Aap me Achchhaa yaad dilaayaa.... Abhi kuchh din Pahale Modi ji Banaras me his gaao ko god liye... Logo Se puchhe the ki Koi bataaye es Gaao kaa sabse puraanaa per kaun SAA Hai... Using Ke neeche saal me Us per ki yaad me Gaao ka Vaarshik Melaa her versh Manaayaa jaaye... Aap ki Rachanaa Hume uski yaad dilaa gayee... Bahut Maarmik Prastuti....
    2 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh ठीक कहा पांडेयजी। बरगद की तरह हर हर इन्सान हो जाय तो समाज सुधर जाय।
    2 hrs · Like · 1
  • Ram Saran Singh बरगद निस्स्वार्थ और अटलता का प्रतीक है । कई पीढ़ियाँ इसकी छाया का आनंद लेती है । काश हमारा जीवन भी किसी का सहारा बने । बेहतरीन धन्यवाद ।
    2 hrs · Unlike · 3
  • BN Pandey Bilkul sir lekin aaj kal kai gaao me bachche es per ko Dekh nahi sakate... Kewal Kahi books me photo Se hi jaan paste Hai..
    2 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh यह तो है पांडेय जी
    2 hrs · Unlike · 2
  • Dinesh Singh बहुत ही सुंदर प्रश्तुिति श्रेष्ठ शुभ प्रभात
    2 hrs · Unlike · 1
  • SN Gupta बहुत ही सुंदर
    1 hr · Unlike · 2

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