Sunday, February 1, 2015

तुम कहलाते हो ऋतुराज कहाँ कर रहे हो निवास दुखी है मनुवा लगे न यह मधुमास, यह कैसा बसंत है।

कलम से____
मेरी मदद करिए कृपया यह बता दीजिए,
नहीं बहे बसंती बयार, तो भी क्या यही मधुमास है।
हर साल बसंत ऋतु आती थी उमंग सी छा जाती थी,
अबके सुस्ती सुस्ती सी छाई है, क्या यही बसंत है।
अबके रजाई छोड़ी नहीं जाती है ठंढ बहुत सताती है
मौसम ने ली अंगडाई है, क्या यही बसंत है।
अमराई में दिखा नहीं है बौर होंगे कैसे आम
चिंता रही है बहुत सताय, क्या यही बसंत है।
पलाश पर दिखे न कोई बहार, टेसू भी हुआ निढ़ाल
रंग बिहीन है फिज़ा कैसे खेलेंगे फाग, क्या यही बसंत है।
तुम कहलाते हो ऋतुराज कहाँ कर रहे हो निवास
दुखी है मनुवा लगे न यह मधुमास, यह कैसा बसंत है।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
Like ·  · 
  • Ram Saran Singh महोदय यह वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन का प्रभाव है ।
    19 hrs · Unlike · 1
  • Rajan Varma Time clock- biological clock- cultural clock- climatic clock,
    All are running out-of-phase and asynchronous to each-other; 
    Call it man-made disaster or God-sent warnings- 
    ...See More
    18 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh दिल्ली का मौसम फिर खराब हुआ और बरसात आने की बात फिर हो रही है।
    18 hrs · Like · 1
  • Sp Tripathi जाड़ा तो जैसे जम गया है । जाने का नाम नहीं ले रहा है ।
    17 hrs · Unlike · 1
  • उमेश शर्मा जब तक वास्तविक बसंत नहीं आता है , सर्दियों का लुत्फ़ उठाइये , सिंह साहब ।
    12 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh बिल्कुल सही उमेश जी।
    4 hrs · Like
  • Ajay Kr Misra Prakriti ka mijaz badal raha hai, Sir.
    3 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh आज भी सूर्य देवता बदली के पीछे ही रहेंगे।
    3 hrs · Like
  • Dinesh Singh -बहुत ही सुंदर रचना
    1 hr · Unlike · 1

No comments:

Post a Comment