Friday, February 13, 2015

गये कह गये थे वतन वापसी की बहुत देर कर दी निकलती हैं आहें।

परेशान हैं पथ निहारे निगाहें।
कब आओगे तुमको राहें पुकारें।
गये कह गये थे वतन वापसी की
बहुत देर कर दी निकलती हैं आहें।
 — with Ramaa Singh and S.p. Singh.
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