कलम से____
मौसम अचानक बदल जाये,
हवाओं के रुख का कुछ पता नहीं लगता।
हवाओं के रुख का कुछ पता नहीं लगता।
अपने वादे से वो पलट जायें,
हसीनाओं के रुख का कुछ पता नहीं लगता।
हसीनाओं के रुख का कुछ पता नहीं लगता।
हँसते हँसते रूठ वो जायें,
उनके मूड का कुछ पता नहीं लगता।
उनके मूड का कुछ पता नहीं लगता।
निगाहें अपनी नीचीं वो करलें,
इज़हारे इश्क कैसे हो कुछ पता नहीं लगता।
इज़हारे इश्क कैसे हो कुछ पता नहीं लगता।
रुखसती का एलान हो जाये,
जिंदगी में कब क्या हो कुछ पता नहीं लगता।
जिंदगी में कब क्या हो कुछ पता नहीं लगता।
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