जिदंगी भी क्या अजीबोगरीब रंग दिखाती है
लगे जब मंजिल करीब दूर क्यों होती जाती है
वो चलके पास आयें समझो मंजिल पासआ गई
मौत आजाये करीब समझो जिदंगी मंजिल को पंहुच गई !!
लगे जब मंजिल करीब दूर क्यों होती जाती है
वो चलके पास आयें समझो मंजिल पासआ गई
मौत आजाये करीब समझो जिदंगी मंजिल को पंहुच गई !!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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