कलम से____
हस्पताल के भीतर घुसते ही
दिल धक धक करने लगता है
क्या क्या होगा न जाने कैसे होगा
अपने आप से ड़र लगने लगता है
दिल धक धक करने लगता है
क्या क्या होगा न जाने कैसे होगा
अपने आप से ड़र लगने लगता है
कुछ हैं जो हर रोज़ आते
फर्ज़ अपना समझ हैं निभाते
कुछ लोग अपनों को खो हैं देते
बचाने वाले भी उन्हें नहीं बचा पाते
फर्ज़ अपना समझ हैं निभाते
कुछ लोग अपनों को खो हैं देते
बचाने वाले भी उन्हें नहीं बचा पाते
खफ़ा होके उनसे क्या है मिलेगा
जो लिखा है किस्मत में उतना मिलेगा
अपनों को अपनों के बीच हैं जो पाना
इज्ज़त देना और इज्ज़त तब पाना
करना न कोई फसाद बबाल या बहाना
जिदंगी है छोटी सुदंर इसे तुम बनाना....
जो लिखा है किस्मत में उतना मिलेगा
अपनों को अपनों के बीच हैं जो पाना
इज्ज़त देना और इज्ज़त तब पाना
करना न कोई फसाद बबाल या बहाना
जिदंगी है छोटी सुदंर इसे तुम बनाना....
(कल ही गया था मैं अपने डाक्टर साहब मनोजकुमार जी से Max Patparganj Facility में मिलने अपने दिल का हाल लेने। अभी सब ठीक ठाक है।)
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