ऐसे तो न देखो
हम तो लुटाये बैठे हैं अपना सारा जहां
अपना कुछ और अब बचा ही है कहां !!!
हम तो लुटाये बैठे हैं अपना सारा जहां
अपना कुछ और अब बचा ही है कहां !!!
टूटे हुये पैमाने में कभी जाम नहीं बनते
हो जो गये आम कभी ख़ास नहीं बनते
उजड़े चमन में कभी गुल नहीं खिलते
बिछ़ड़े जो इक बार दुबारा नहीं मिलते !!
हो जो गये आम कभी ख़ास नहीं बनते
उजड़े चमन में कभी गुल नहीं खिलते
बिछ़ड़े जो इक बार दुबारा नहीं मिलते !!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot. in/
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