जैसी भी हूँ मैं, सामने हूँ तुम्हारे
तंग ख्याल हैं नहीं मेरे
खुले दिल दिमाग वाली हूँ
साथी मेरे कहते हैं अक्सर
वक्त की रफ्तार से आगे चलने वाली हूँ
बुरा नहीं लगता है मुझे
कोई मुझसे भी आगे चलके दिखाता है
बस मैं अपने आसपास की चीजों में
उलझी रहती हूँ
मुझे लगता है अच्छा
जब तुम,
और सिर्फ तुम, ख्यालों में रहते हो
हाँ, कभी आते हो, कभी जाते हो
सावन के बदरा से।
तंग ख्याल हैं नहीं मेरे
खुले दिल दिमाग वाली हूँ
साथी मेरे कहते हैं अक्सर
वक्त की रफ्तार से आगे चलने वाली हूँ
बुरा नहीं लगता है मुझे
कोई मुझसे भी आगे चलके दिखाता है
बस मैं अपने आसपास की चीजों में
उलझी रहती हूँ
मुझे लगता है अच्छा
जब तुम,
और सिर्फ तुम, ख्यालों में रहते हो
हाँ, कभी आते हो, कभी जाते हो
सावन के बदरा से।
मैंनें कब कहा हटा दो उसे
जो ख्यालों में तुम्हारे रहती है
वह मैं ही तो हूँ
मेरा ही हम साया है
तुमको जो मेरा साये सा लगता है
जो ख्यालों में तुम्हारे रहती है
वह मैं ही तो हूँ
मेरा ही हम साया है
तुमको जो मेरा साये सा लगता है
जहाँ भी रहोगे तुम
सदा रहूँगी आसपास मैं
सांसों में घुल गई हूँ मैं
हर सांस में रहूँगी मैं
तुम्हारी बनके सदा.....
सदा रहूँगी आसपास मैं
सांसों में घुल गई हूँ मैं
हर सांस में रहूँगी मैं
तुम्हारी बनके सदा.....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot. in/
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