जिक्र करते हैं दुश्मन मेरी जां के तेरे अफसानों में
बागवां फूल पिरो लाया है तलवारों में !
बागवां फूल पिरो लाया है तलवारों में !
हुस्न बेगाना होकर दर्द बड़ा दे जाता है
गुन्चे बागों में खिलके बिक जाते हैं बाज़ारों में !
गुन्चे बागों में खिलके बिक जाते हैं बाज़ारों में !
तेरे चेहरे का रंग चुरा लाये हैं गुल गुलज़ारों से
जल रहा हूँ मैं इस भरी बरसात की बौछारों में !
जल रहा हूँ मैं इस भरी बरसात की बौछारों में !
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