कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Sunday, September 27, 2015
बेपरवाह हैं
बेपरवाह हैं ये अंधेरे न खुद की खबर है इन्हें न उनकी
मैं अपने दिल की क्या कहूँ न सुबह की फिक्र है न शाम की .....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.
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