आज भी बिखरे हैं रास्ते में अश्क़ मेरे,
पिछली बरसात में छोड़ गया था कोई .............
पिछली बरसात में छोड़ गया था कोई .............
कल तक तो वो अपना सा लगता था
कहने लगा अब न उठा पाऊँगा बोझ तेरा
तू रह यहाँ मैं कहीं और चला जाऊँगा
पिछली बरसात में छोड़ गया था
जाते हुये ज़ख्म गहरा दे गया था
यदाकदा दिख जाते हैं निशान उसके
आज भी बिखरे पड़े हैं राह में अश्क तेरे
कहने लगा अब न उठा पाऊँगा बोझ तेरा
तू रह यहाँ मैं कहीं और चला जाऊँगा
पिछली बरसात में छोड़ गया था
जाते हुये ज़ख्म गहरा दे गया था
यदाकदा दिख जाते हैं निशान उसके
आज भी बिखरे पड़े हैं राह में अश्क तेरे
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