कलम से____
दिन की खूबसूरती
बढ़ जाती है
जिस दिन मुलाकात
उनसे हो जाती है।
पार्क में
फूल खिल जाते हैं
फिजाओं में खुशबू छा जाती है
भ्रमर रसपान को आ जाते हैं
बाग की रंगत ही बदल जाती है।
तुम जब नहीं दिखते
उदास हो जाता हूँ
थका थका सा महसूस करता हूँ
सोचता हूँ आखिर
तुम में क्या है ऐसा
जिसको देख
मौसम भी पलट जाता है
बिन बादल बरसात का आलम बन जाता है।
मेरे जहां में रख दो
कदम अपने हौले से
दुनियां ही मेरी
बदल जाएगी
तुम्हारे आने भर से
रौनक चेहरे की बढ़ जाएगी
हासिल मैं वह कर लूँगा
सपना सा जो लगता है।
तेरा दर्जा सबसे ऊँचा है
खुदा के बाद तेरी बंदगी ही मैंने की है।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
दिन की खूबसूरती
बढ़ जाती है
जिस दिन मुलाकात
उनसे हो जाती है।
पार्क में
फूल खिल जाते हैं
फिजाओं में खुशबू छा जाती है
भ्रमर रसपान को आ जाते हैं
बाग की रंगत ही बदल जाती है।
तुम जब नहीं दिखते
उदास हो जाता हूँ
थका थका सा महसूस करता हूँ
सोचता हूँ आखिर
तुम में क्या है ऐसा
जिसको देख
मौसम भी पलट जाता है
बिन बादल बरसात का आलम बन जाता है।
मेरे जहां में रख दो
कदम अपने हौले से
दुनियां ही मेरी
बदल जाएगी
तुम्हारे आने भर से
रौनक चेहरे की बढ़ जाएगी
हासिल मैं वह कर लूँगा
सपना सा जो लगता है।
तेरा दर्जा सबसे ऊँचा है
खुदा के बाद तेरी बंदगी ही मैंने की है।
//surendrapal singh//
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