Friday, September 5, 2014

शिक्षक (गुरू) दिवस है डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म दिन।

Good morning dear friends.
सुप्रभात दोस्तों ।
09 05 2014

आज शिक्षक (गुरू) दिवस है डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म दिन।

एक बच्चों की कहानी आपकी सेवा में :-

"एक युवा धनुर्धर ने अपने गुरु से धनुर्विद्या सीखी और जल्दी ही वह बहुत अच्छा निशाना लगाने लगा। तीर चलाने में वह इतना निपुण हो गया था कि अपने साथी से पूछता था कि बोलो कहां निशाना लगाना है। साथी बताते कि फलां पेड़ या फलां फल को गिराकर बताओ और वह धनुर्धर तुरंत ही वैसा करके दिखा देता।अपनी इस विधा पर धनुर्धर फूला नहीं समा रहा था। सफलता सर चढ़कर बोलने लगी।

अब वह कहने लगा कि वह गुरुजी से बढ़िया धनुर्धर हो गया है।

गुरुजी को जब यह बात पता चली तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।एक बार गुरुजी को किसी काम से दूसरे गांव जाना था। उन्होंने अपने इसी शिष्य को बुलाया और साथ चलने को कहा।

गुरु-शिष्य दोनों जब रास्ते से चले तो बीच में एक जगह खाई दिखी। गुरु ने देखा, खाई में एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए एक पेड़ के तने का पुल बना हुआ है। गुरु उस पेड़ के तने पर पैर रखते हुए आगे बढ़े और पुल के बीच में पहुंच गए।वहां पहुंचकर उन्होंने शिष्य की तरफ देखा और पूछा कि बताओ कहां निशाना लगाना है। शिष्य ने कहा कि वो जो सामने पतला-सा पेड़ दिख रहा है उसके तने पर निशाना साधिए। गुरु ने तत्काल निशाना लगाकर बता दिया। गुरु सरपट पुल से इस तरफ आ गए।

इसके बाद उन्होंने शिष्य से ऐसा करके दिखाने को कहा। शिष्य ने जैसे ही पुल पर पैर रखा, वह घबरा गया। पुल पर अपना वजन संभालकर आगे बढ़ना मुश्किल काम था। शिष्य जैसे-तैसे पुल के बीच में पहुंचा।

गुरु ने कहा- तुम भी उसी पेड़ के तने पर निशान साधकर बताओ।

शिष्य ने जैसे ही धनुष उठाया, संतुलन बिगड़ने लगा और वह तीर ही नहीं चला पाया। वह चिल्लाने लगा- गुरुजी बचाइए। वरना मैं खाई में गिर जाऊंगा। गुरुजी पुल पर गए और शिष्य को इस तरफ उतार लाए। दोनों ने यहां से चुपचाप गांव तक का सफर तय किया।

शिष्य के समझ में बात आ गई थी कि उसे अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है।

इसलिए कभी अपनी श्रेष्ठता का घमंड नहीं करना चाहिए।"

जीवन में यही सीख जो अपनाता है वही श्रेष्ठ जन कहलाता है ।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with आशीष कैलाश तिवारी and Puneet Chowdhary.
Photo: Good morning dear friends.
सुप्रभात दोस्तों ।
09 05 2014

आज शिक्षक (गुरू) दिवस है डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म दिन।

एक बच्चों की कहानी आपकी सेवा में :-

"एक युवा धनुर्धर ने अपने गुरु से धनुर्विद्या सीखी और जल्दी ही वह बहुत अच्छा निशाना लगाने लगा। तीर चलाने में वह इतना निपुण हो गया था कि अपने साथी से पूछता था कि बोलो कहां निशाना लगाना है। साथी बताते कि फलां पेड़ या फलां फल को गिराकर बताओ और वह धनुर्धर तुरंत ही वैसा करके दिखा देता।अपनी इस विधा पर धनुर्धर फूला नहीं समा रहा था। सफलता सर चढ़कर बोलने लगी।

अब वह कहने लगा कि वह गुरुजी से बढ़िया धनुर्धर हो गया है। 

गुरुजी को जब यह बात पता चली तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।एक बार गुरुजी को किसी काम से दूसरे गांव जाना था। उन्होंने अपने इसी शिष्य को बुलाया और साथ चलने को कहा। 

गुरु-शिष्य दोनों जब रास्ते से चले तो बीच में एक जगह खाई दिखी। गुरु ने देखा, खाई में एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए एक पेड़ के तने का पुल बना हुआ है। गुरु उस पेड़ के तने पर पैर रखते हुए आगे बढ़े और पुल के बीच में पहुंच गए।वहां पहुंचकर उन्होंने शिष्य की तरफ देखा और पूछा कि बताओ कहां निशाना लगाना है। शिष्य ने कहा कि वो जो सामने पतला-सा पेड़ दिख रहा है उसके तने पर निशाना साधिए। गुरु ने तत्काल निशाना लगाकर बता दिया। गुरु सरपट पुल से इस तरफ आ गए।

इसके बाद उन्होंने शिष्य से ऐसा करके दिखाने को कहा। शिष्य ने जैसे ही पुल पर पैर रखा, वह घबरा गया। पुल पर अपना वजन संभालकर आगे बढ़ना मुश्किल काम था। शिष्य जैसे-तैसे पुल के बीच में पहुंचा।

गुरु ने कहा- तुम भी उसी पेड़ के तने पर निशान साधकर बताओ।

शिष्य ने जैसे ही धनुष उठाया, संतुलन बिगड़ने लगा और वह तीर ही नहीं चला पाया। वह चिल्लाने लगा- गुरुजी बचाइए। वरना मैं खाई में गिर जाऊंगा। गुरुजी पुल पर गए और शिष्य को इस तरफ उतार लाए। दोनों ने यहां से चुपचाप गांव तक का सफर तय किया। 

शिष्य के समझ में बात आ गई थी कि उसे अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है।

इसलिए कभी अपनी श्रेष्ठता का घमंड नहीं करना चाहिए।"

जीवन में यही सीख जो अपनाता है वही श्रेष्ठ जन कहलाता है ।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Harihar Singh शिक्षक दिवस पर हाहार्दिक बधाईSee Translation
    14 hours ago · Unlike · 1
  • Suresh Chadha Suprabhatam sabi mitro ko
    Happy Teacher's day
    13 hours ago · Unlike · 2
  • Surinder Gera Iss avsar per haardik shubh kaamnayen !See Translation
    12 hours ago · Like · 1
  • Ram Saran Singh अहंकार ज्ञान को हर लेता है । विनम्रता सिखाती है । बहुत शिक्षाप्रद लिखा है आपने महोदय । धन्यवाद ।
    12 hours ago · Like · 1
  • Rajan Varma गुरू, गुरू होता है; हलाँकि सच्चे गुरू को हृादिक प्रसन्नता होती है शिष्य को स्वयं से आगे निकलते देख, परंतु सच्चा शिष्य कितना भी आगे निकल जाये गुरू की चरण-शरण कदापि नहीं छोड़ता; राधे राधे
    12 hours ago · Like · 3
  • Ram Saran Singh बहुत सही लिखा है आदरणीय वर्माजी ने । हाँ एक बात ज़रूर है कि ऐसे गरु और शिष्य कम मिलते है ।
    12 hours ago · Like · 2
  • BN Pandey INSAAN KO APANE GYAAN KAA AHANKAAR BAHUT JALDI HO JAATAA HAI LEKIN USE APANE AHANKAAR KAA GYAAN NAHI HOTAA HAI.......AISE SAMAY GURU KI KRIPAA KI JAROORAT HOTI HAI JO USE ANDHAKAAR SE PAKAASH KI ORE LE JAATAA HAI.......OM SHRI GURUVE NAMAH
    11 hours ago · Like · 3
  • Arun Kumar Singh सर नमस्ते ,
    8 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh नमस्कार।
    8 hours ago · Unlike · 1
  • Sp Tripathi सुप्रभातम् ।See Translation
    8 hours ago · Unlike · 1

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