Friday, September 5, 2014

सूरज फिर उग आया है

कलम से____

सूरज फिर उग आया है
जग को छवि अपनी दिखलाई है
आस जगी है फिर मन में
सुंदर बहार छाई है !

कहीं कहीं धूप जाती
कहीं जाती उसकी परछाईं है
जीवन में प्रकाश फैले सबके
ऐसी आस प्रभु मैंने तुझसे लगाई है !!

दूर आपको जो दिखता है
वह निर्माण भवन हैै
लाइट से नहीं
सूरज की परछाईं से जागृत है !!!

मित्रों यह आज प्रातः का प्रीत विहार का विहंगम दृश्य है।

आज का दिन आपके जीवन है मंगलकारी हो यही कामना है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

सूरज फिर उग आया है
जग को छवि अपनी दिखलाई है
आस जगी है फिर मन में
सुंदर बहार छाई है !

कहीं कहीं धूप जाती
कहीं जाती उसकी परछाईं है
जीवन में प्रकाश फैले सबके
ऐसी आस प्रभु मैंने तुझसे लगाई है !!

दूर आपको जो दिखता है
वह निर्माण भवन हैै
लाइट से नहीं
सूरज की परछाईं से जागृत है !!!

मित्रों यह आज प्रातः का प्रीत विहार का विहंगम दृश्य है।

आज का दिन आपके जीवन है मंगलकारी हो यही कामना है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Sanjay Joshi जीवन में प्रकाश फैले सबके,, 
    ऐसी आस प्रभु मैने तुझसे लगाई है... 
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.. s.p. sir..
    See Translation
  • Harihar Singh सुप्रभात राधे राधे जीSee Translation
  • Rajan Varma सुप्रभात् - 'जीवन में प्रकाश फ़ैले सबके' की आस के साथ-साथ अगली ही पंक्ति में आपने प्रकाश के द्योतक 'निर्माण भवन' पर 'लाइट से नहीं सूरज की परछाई से जागृत कर दिखाया है'- कविता की माँग थी सो किया आपने पर मुझे विरोधाभास लगा- पहली नज़र में; राधे राधे सर
  • Sp Dwivedi सुप्रभात ,मंगलमय हो मंगल दिवस
  • S.p. Singh संजय जोशी धन्यवाद।
  • S.p. Singh हरिहर भाई जै राधे राधे।
  • S.p. Singh राजन जी आज मैं सुनूँगा आप बोलेगें जो आपने कहा है अकाट्य सत्य है। आज का मंगल मंगलकारी हो।
  • S.p. Singh Dwivedi ji: आपका हृदय से आभार।
  • Satish Manocha Best wishes for a great day.. & a joyful time
  • S.p. Singh Thanks sir ji.
  • Ram Saran Singh सर्व कल्याण का भाव और वह भी भोर होते ही कितना उत्तम है । काश यही भाव कुछ कुत्सित लोगों में पनपता । धन्यवाद महोदय ।
  • S.p. Singh बहुत धन्यवाद सिहं साहब।
  • Brahmdeo Prasad Gupta nice.good morning.
  • Ajay Kumar Misra नया सवेरा नया दिन नई ऊर्जा बिखेरती आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी।
    सुप्रभातम् सर।
    See Translation
  • S.p. Singh अब शाम हो चली
    आकाश पर बादल घिर आए हैं
    बारिश तगड़ी होगी
    ऐसा अंदेशा बना हुआ है
    आशा है दिन 
    आपका अच्छा रहा होगा 
    शाम भी अच्छी हो
    यह अभिलाषा है।

    मौसम की पुकार
    पर बहक न जाना
    सीधे अपने घर जाना
    घर में इतंजार करता है कोई
    यह अपने मन धरना।

    सोम ठाकुर की कविता
    अपने मन में गुनगुनाना
    " जाओ पर संध्या संग लौट आना....."

    बस इतना ही था
    मुझे कहना।
  • S.p. Singh धन्यवाद नीलेश ।
  • SN Gupta वाह वाह बहुत खूब
  • Puneet Chowdhary Creativity has no bounds and so is your capability as a poet
  • Puneet Chowdhary Is kavita ke saath aap kaavi raaj se kaavi samrat ho gaye

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