कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Saturday, November 29, 2014
जो न बोलते हैं
कलम से____
जो न बोलते हैं, न कुछ सुनते हैं, बुत से बने रहते हैं
फिर भी फरियाद लिए उनके सामने हम खड़े रहते हैं !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with
Puneet Chowdhary
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Ranvir Bhadauria
,
Suresh Kumar
,
Suresh Chadha
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Javed Usmani
लाजवाब
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Neeraj Saxena
Behtreen
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Puneet Chowdhary
Ghazab
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Dinesh Singh
वाह बेहद उम्दा
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Harihar Singh
बहतरीन प्रस्तुति
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Amrendra Mishra
Good
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Jitendra Kakkar
विश्वास आधार बनाता है।
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आकांक्षा रॉय
बहुत खूब ...
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BN Pandey
MANMOHAN SIGH JI KI YAAD AA RAHE HAI...
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Ram Saran Singh
आदरणीय । यही बिडंबना है दुनिया में बुतपरस्ती की जो न साफ़ कहते हैं और न होते हैं रूबरू । धन्यवाद ।
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S.p. Singh
सिंह साहब जब आत्मविश्वास ही समाप्त प्रायः है। इन्सान भी कमजोर हो जाता है पत्थर दिल को फरियाद सुनाने के लिए।
19 hrs
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Rajan Varma
बुतख़ाने की चौख़ट घिसा डाली, सजदे अौर फ़रियादों में ,
शायद रास्ता ही ग़लत था- भीड़ देख शुमार हो गये काफ़िले में;
16 hrs
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SN Gupta
अतिसुन्दर भाव ,वाह वाह
13 hrs
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S.p. Singh
हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया।
1 hr
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