कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Thursday, November 20, 2014
बुलंदियों पर पहुंच कर गुरूर ना करना
कलम से____
बुलंदियों पर पहुंच कर गुरूर ना करना,
सफर की ढ़लान
अभी बाकी है.....!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with
Puneet Chowdhary
.
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Nagendra Singh Nagendra
,
Kalpana Chaturvedi
,
BN Pandey
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Rp Singh
वाह सुंदर
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Dinesh Singh
बहुत ही सुंदर
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Ram Saran Singh
महोदय अहंकारियों को हद में रहने की चेतावनी देती रचना समय की माँग है और गंभीर चोट पहुँचाने में समर्थ है । धन्यवाद ।
22 hrs
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Sp Tripathi
जितनी सुन्दर लाइनें उतना ही सटीक चित्र भी । बहुत अच्छा लगा ।
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Anjani Srivastava
सर जी, बहुत सुंदर…. !
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Harihar Singh
हाँ आप अच्छर सा सत्य कहा है
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Javed Usmani
बहुत सुंदर
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Udaya Veer Singh
क्या बात है
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Rajan Varma
जो चीज़ ऊपर जाती है,
लौट कर फ़िर ज़मीं पर आती है;
है ये प्रकृति का नियम,
ऐसा कहा था न्यूटन बाबा ने;
ऊपर चढ़ने वाले निशां मिटने न देना,
लौटते वक्त निशान-देही काम आयेगी!
15 hrs
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आशीष कैलाश तिवारी
बुलंदी की कामना ही न रहे तो????
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Bhawesh Asthana
भाई साहिब दो लाइन में बहुत कुछ बयान कर दिया , बहुत ख़ूब
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Ajay Kr Misra
बहुत सुन्दर सन्देश निहित है, आपकी प्रस्तुति में। गुरुर मानव का सबसे बड़ा दुश्मन कहा गया है, सर।
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BN Pandey
HE THAT IS DOWN NEEDS FEAR NO FALL
7 hrs
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