Monday, November 24, 2014

भारत स्वच्छ अभियान।

कल का वाकया है यह। एक महापुरुष अपनी दस लाख की कार में बैठ कर, बस स्टाप पर, अपनी बेटी का इंतजार कर रहे थे। वक्त था, कि सरक ही नहीं रहा था। उन्होंने पास ही खड़े ठेले से मूंफली खरीदी और चबाने लगे। टाइम पास का इससे अच्छा ज़रिया और क्या होगा।
थोड़ी देर में उनकी कार के दरवाजे के नीचे छिलके ही छिलके थे, बिखरे हुए। एक महिला आईं और स्वीपर को बुला कर कहने लगीं। भइय्या यहां भी झाडू लगा देना, भाई साहब ने सर्दी की मेवा खाई है। स्वीपर ने बात अनसुनी कर दी और आगे बढ़ गया।
मूंफली खाने वाले सज्जन को अपनी गलती का अहसास हो चुका था। और फिर दुबारा ऐसा न करने का निश्चय भी उन्होंने करने लिया था।
आपसे मेरा प्रश्न है कि महिला ने सही किया या गलत?
भारत स्वच्छ अभियान।
— with आशीष कैलाश तिवारी and Puneet Chowdhary.
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