Monday, June 8, 2015

जबसे इधर मुलाकातें बढ़ने लगीं है तबसे तन्हाइयां अच्छी लगने लगीं हैं

कलम से____
जबसे इधर मुलाकातें बढ़ने लगीं है
तबसे तन्हाइयां अच्छी लगने लगीं हैं
दिल धड़कने लगता है महफिलों में
'एकांत' में सुनना कभी तुम मेरी गज़ल .....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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