Tuesday, June 16, 2015

अब चक्की भी गायब और वो घी का खाली टिन भी....

वो भी एक जमाना था जब हम साइकिल के पीछे घी के खाली टिन में गेंहूँ का आटा पिसवाने आटा चक्की तक जाया करते थे.....
अब चक्की भी गायब और वो घी का खाली टिन भी....
अब आने लगा है आशीर्वाद आटा पिसा पिसाया रेडीमेड। और भी कई ब्रांड हैं उसमें से एक बाबा रामदेव जी का भी है। खाने पीने की चीजों की टेस्टिंग का इतना लचर इंतजाम है कि क्या कहा जाय।
कुछ दिन पहले ही मैगी टेस्ट हुई फेल हो गई। फिर नम्बर आया कम्पलान का सुना है इसमें कीडे निकले....और यह भी कि नेस्ले दूध में भी....दूध दही का क्या कहना वह तो नकली ही बिकता है। बिस्कुट/ब्रैड बनाने वाली कंपनियां जो कोई मानक नहीं मानतीं हैं धडल्ले से चल रही हैं।
कब बनेंगे मानक? एक स्टार गरीब के लिए सस्ता माल जो सरकारी दुकानों पर उपलब्ध रहेगा। दो स्टार थोडा बेहतर जो पंसारी की दुकान पर मिलेगा जो गरीबी रेखा से कुछ ऊपर वालों को आधार कार्ड पर मिलेगा। तीन स्टार मध्यम वर्ग वालों के लिए जो बिग बाजार में मिलेगा। चार स्टार जो स्टेन्डर्ड वाले माॅल जैसे स्पेन्सर जैसों पर मिलेगा। पाँच स्टार वो जो 100% FDI वाले मालॅ में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इग्लैंड, फ्रांस इत्यादि से लाकर बेचा जायेगा और जो गोरी चमडी के लोगों को ही उपलब्ध होगा।
अपनी अपनी साइकिल ठीक करा लो। आटा गुरू उस गेंहूँ का पिसता है जो सरकारी गोदामों में बरसात में सड़ जाता है। अपनी अपनी घरवाली से कहो गेंहूँ लाकर देता हूँ पहले धो लो फिर बीनो ।
उसके बाद चक्की से पिसवाकर लाओ तो शुद्ध खाओ नहीं तो डाक्टर के पास जाओ और बीमारी होकर इलाज करने की तैयार रहो।
इतना बड़ा देश है अब कोई क्या कर सकता है...125 करोड लोग हैं....अच्छा मार्केट है...सभी अपने अपने हिसाब से चल रहे हैं।
जय भारत....
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  • Shravan Kumar Sachan Ek katu satya
  • Rajan Varma यैप- the wheel has taken a full circle; अब वािपस आटा पिसा के खाने का समय आ गया है; अौर आँखों देखा दूध दुहा के लाने का वक्त आ गया है- वोह बात दीगर है कि आजकल भैंस-वाड़े सारे सैक्टरों अौर कलोनियों से बाहर खदेड़ दिये गये हैं; 
    आजकल के बच्चों को तो यही पता है कि दूध डिब्बा-बंद या एटीएम मशीन से ही निकलता है न कि भैंस-गाय से!!!!!
  • Rajender Gaur Sir thanks for showing way
  • Harihar Singh सत्य वचन।हम लोगों आज भी चक्की का आटा खाते हैं।और प्रकृति से जुडे हैं ह
  • S.p. Singh आप महान हैं अभी गांव से जुडे हैं। जो शहर आगये हैं वो सब खो गये हैं, हरिहर भाई।
  • SP Rana Sir, aaj to bhut memorable post dali hai, nice remember
  • Ram Saran Singh " कुछ हम भी ऐसे थे कुछ वो भी ऐसे ही निकले, वो लूटते रहे और हम लुटते रहे, गिला तो बहुत है ज़माने से, शिकवा करें तो किससे करें" सही वक़्त पर आपने आगाह किया है । अब तो सोचना ही होगा । धन्यवाद ।
    Unlike · Reply · 3 · 23 hrs
  • Ajay Jain bahut sahi kaha ----yaha tak ki mujhe khoob yad he bad me scooter pe ek side brick rakh ke bhi pisaya he g
    Unlike · Reply · 3 · 23 hrs
  • Ajay Jain kya the vo din aksar yad aate he g
    Unlike · Reply · 2 · 23 hrs
  • Rakesh Kumar Gupta Even in Mumbai some people are taking dairy milk but most of the people are taking package milk or tetra pack
    Unlike · Reply · 1 · 23 hrs
  • Brahmdeo Prasad Gupta life has changed a lot quality of man and material has gone down hope current generation will find some solution for their survival,where we expected honesty he fought bitterly for a law minister with fake degree.
    Unlike · Reply · 1 · 23 hrs
  • SN Gupta फसल आते ही बाजार से साल भर का गेंहू लाकर घर में भण्डारण कर देता था उसके बाद छुट्टी वाले दिन गेंहूँ धोना, सुखाना, बीनना श्रीमती जी के जिम्मे था क्यों कि नौकरी भी साथ चलती थी, मैं तो साईकिल भी नहीं चलाता था इसलिए कंधे पर ही भरा टिन रखकर चक्की पर रख आता पिसने के बाद ले आता था और हाँ दादी और माँ के समय तो घर में ही हाथ चक्की से गेंहूँ पिसता था
    Unlike · Reply · 3 · 23 hrs
  • Chadha Vijay Kumar who is to be blamed for this situation
    Unlike · Reply · 1 · 23 hrs
  • S.p. Singh जो वक्त गुजर गया वो ठीक था। हम लोग अभी बचे हैं। कम से कम अब कुछ हो...
    Unlike · Reply · 3 · 21 hrs
  • Rema Nair Sir abhi tak chakki se gehu pisvakar lati he aur khati he lekin' gehu gehu na raha aajkal! koi swad nahi.. kitna mehanga kharido to bhi ....
    Unlike · Reply · 1 · 20 hrs
  • S.p. Singh Yes I agree with you. In fact entire range of agricultural produce in India has been subjected to high dosage of usuage of fetilizers and pesticides.
    Like · Reply · 1 · 19 hrs · Edited
  • Krishna Kumar Chandrakar Young generation has to adopt developing trend.Hope the change for betterment.
    Unlike · Reply · 1 · 20 hrs
  • S.p. Singh Provided they are able to survive......
    Like · Reply · 20 hrs
  • Umesh Chandra Srivastava sir, अब भी जाता है मगर टीन के डिब्बे मे नही प्लास्टिक बैग मे.
    Unlike · Reply · 1 · 19 hrs
  • Rakesh Kumar Pandey The day Film stars will join Attaa Pisai Club lot of youngesters will make it a fashion.
    Unlike · Reply · 1 · 19 hrs
  • Balbir Singh Baba ramdev ke atte par kuchh bharosa kiya ja sakta hai
    Unlike · Reply · 1 · 19 hrs
  • S.p. Singh सभी मित्रों का आभार आप सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवाद।
    Like · Reply · 15 hrs
  • Kamlesh Kumar Singh अब तो शरीर आदी हो चुका है, भय है कि असली से कहीं मौत न हो जाए.
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