Monday, June 8, 2015

समझने समझाने में ही कट गई यूँही ये जिंदगी.....

कलम से____
6th June, 2015/Kaushambi
छोड़कर वो गर न गये होते
तो गम़ जुदाई का कैसे समझते
आँख से आँसू न गिरते
याद आते हैं अपने कैसे समझते
गरमी इस कद़र न पड़ती
बारिशों की कीमत कैसे समझते
गुलाब में कांटे न होते
ख़ुशबू कैसी होती है कैसे समझते
जिदंगी मुश्किल न होती
जिदंगी को कैसे समझते
समझने समझाने में ही कट गई
यूँही ये जिंदगी.....
अगर हम " तुझे " समझ लेते
तो इतनी मुश्किल में न पड़ते !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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