Friday, August 28, 2015

आखिर करते शिकायत हम किस हुक्मरान से वो शहर भी आपका था, अदालत भी आपकी थी.........

कलम से____

निगाहें मोहब्बत की थीं पर आपकी थीं
शरारत थी आपकी पर दिल को अज़ीज़ थी
अगर कुछ बेवफाई थी तो वो भी आपकी थी
छोड़ आये हैं गली कूचा शहर जो कभी आपका था
हिदायत भी हमको वो आपकी थी
आखिर करते शिकायत हम किस हुक्मरान से
वो शहर भी आपका था, अदालत भी आपकी थी.........

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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