कलम से____
आज उदासी में कुछ इस तरह तेरी याद आई,
जैसे सावन की घटाओं के बीच से किरन फूट पड़े।
जैसे अंधेरी, स्याह रातों के सन्नाटे में,
आसमां से कोई सितारा अचानक टूट पड़े।
जैसे सावन की घटाओं के बीच से किरन फूट पड़े।
जैसे अंधेरी, स्याह रातों के सन्नाटे में,
आसमां से कोई सितारा अचानक टूट पड़े।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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