कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Friday, March 27, 2015
क्यों अब तूफान उठा करते हैं जो होना था, हो गया !!!
कलम से___
क्यों अब तूफान उठा करते हैं
जो होना था, हो गया !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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Sp Tripathi
,
Kunwar Bahadur Singh
,
Rema Nair
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Ram Saran Singh
ये दो पंक्तियाँ मनुष्य की विवशता को दर्शाने के लिए पर्याप्त हैं । नियति के आगे हम मूकदर्शक बने देखते हैं । बढ़िया । धन्यवाद महोदय ।
March 16 at 5:31pm
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Amrendra Mishra
''अब पछताए होत क्या, चिड़िया चुग गयी खेत''।
March 16 at 5:35pm
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Rajan Varma
तुफ़ान उठे या ख़ामोश रहे समंदर,
मेरे सफ़ीने की पतवार किसी अौर के हाथ है;
March 16 at 5:43pm
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Rp Singh
nice
March 16 at 5:49pm
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Ramaa Singh
March 16 at 5:58pm
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Ram Saran Singh
वाह राजन सर कमाल लिख दिया आपने । " तूफ़ान उठे या ,,,,,,,,,पतवार किसी और के हाथ है । धन्यवाद ।
March 16 at 7:25pm
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Puneet Chowdhary
Kavirajj gehri baat keh gaye
March 16 at 9:45pm
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SN Gupta
बहुत सुन्दर
March 16 at 11:16pm
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Neeraj Saxena
Ati sunder suprabhat singh sahab
March 17 at 9:18am
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