आज ही का था वो दिन
जब
जीवन डोर तुम्हीं संग बाँधी
हर रस्म निभा कर
तुमसे नाता जोड़ा था
नहीं रहे अब
"दो"
हम दोनों
एक डोर से बन्ध गये
एक ही सुर एक ही भाषा
एक दूजे से पहचान बनी
संग संग ही जाने जाते
मेरी पहचान तुमसे बनी
जीवन के अन्तिम क्षण तक
जो साथ निभाता
वो ही जीवन साथी कहलाता........
— with S.p. Singh."दो"
हम दोनों
एक डोर से बन्ध गये
एक ही सुर एक ही भाषा
एक दूजे से पहचान बनी
संग संग ही जाने जाते
मेरी पहचान तुमसे बनी
जीवन के अन्तिम क्षण तक
जो साथ निभाता
वो ही जीवन साथी कहलाता........
No comments:
Post a Comment