Tuesday, February 17, 2015

क्यों ले आए हो मुझे मुर्दों के इस शहर में इन्सान एक भी नज़र मुझे आया नहीं है।

कलम से____
क्यों ले आए हो मुझे मुर्दों के इस शहर में
इन्सान एक भी नज़र मुझे आया नहीं है।
तबीयत लगेगी कैसे किसी की यहाँ
दर्द बांटने को कोई आता ही नहीं है।
आँखों की रौशनी है सबब परेशानी की यहाँ
अधेंरे दिल के रहते हैं रौशनी खोजते यहाँ।
किरण आशा की बस नज़र एक आती है
पास आके पूछे अन्जान, आप अच्छे तो हो यहाँ।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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