कलम से____
बडे दरख़्त तले गुज़ारी थी जिदंगी
करते थे दिन रात हम उसकी बदंगी।
करते थे दिन रात हम उसकी बदंगी।
सिर उठाके कभी कोशिश भी करी
समझा दिया लंबी पड़ी है जिदंगी।
समझा दिया लंबी पड़ी है जिदंगी।
चल न सको जब तक अपने बल बूते
अच्छा यही है रहो मातहत किसी के।
अच्छा यही है रहो मातहत किसी के।
सिर कुचलने को दुश्मन तैयार बैठे हैं
रहना पड़ेगा तुम्हें सभंल बचके उनसे।
रहना पड़ेगा तुम्हें सभंल बचके उनसे।
ज़माने में मिलेंगे इन्सान हर तरह के
कुछ सिला देगें, कुछ चैन पाएगें बदनाम करके।
कुछ सिला देगें, कुछ चैन पाएगें बदनाम करके।
प्यारे बच्चे रहना तुम मेरे आचंल की छांव तले
माँ साथ है तेरे, कुछ न होगा कोई चाहे कुछ भी करले।
माँ साथ है तेरे, कुछ न होगा कोई चाहे कुछ भी करले।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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