हमउँ सोचिन कुछ लिखा जाए अपने पूर्वी उत्तर प्रदेश के दोस्तों की खातिर:-
बाल गणेश- पापा तोहरे काँधे पे चढ़ जांई ?
शंकर जी - नांही मोरे लाल.......
बाल गणेश- पापा चढ़ जाएँ दा....
शंकर जी- पगला गइल हउए का..
अबहिये साँपवा काट लेई त दाँत चीयार देबे.......
अबहिये साँपवा काट लेई त दाँत चीयार देबे.......
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