कलम से____
आज फिर तुम
आकाश में दिखे
लगता है बरसोगे
बरसो
कोई बात नहीं
ओलावृष्टि बन नहीं
सोना हो
सोना ही बरसाना
लगी आस बहुत है
फसल तैयार जो खड़ी है।
आकाश में दिखे
लगता है बरसोगे
बरसो
कोई बात नहीं
ओलावृष्टि बन नहीं
सोना हो
सोना ही बरसाना
लगी आस बहुत है
फसल तैयार जो खड़ी है।
जाना है तो चले जाना
शोर बहुत न करना
नींद अभी खुली है
फिर से रजइय्या में न जाना पड़े
इसका ध्यान जरूर धरना।
शोर बहुत न करना
नींद अभी खुली है
फिर से रजइय्या में न जाना पड़े
इसका ध्यान जरूर धरना।
चलते हैं
दिन को सलाम करते हैं
रोज़ी रोटी का है सवाल
सबको काम है करना
कुछ को वोट मागंने
कुछ को नमन करना
कुछ का काम चल जाता
बस एसे ही
अपना नहीं चलता
दिल को चैन नहीं मिलता
चलो फिर मिलते हैं.....
दिन को सलाम करते हैं
रोज़ी रोटी का है सवाल
सबको काम है करना
कुछ को वोट मागंने
कुछ को नमन करना
कुछ का काम चल जाता
बस एसे ही
अपना नहीं चलता
दिल को चैन नहीं मिलता
चलो फिर मिलते हैं.....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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