मै यादों का
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं.
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत
याद आते हैं.
मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.
कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
सबकी जिंदगी बदल गयी
एक नए सिरे में ढल गयी
एक नए सिरे में ढल गयी
किसी को नौकरी से फुरसत नही
किसी को दोस्तों की जरुरत नही
किसी को दोस्तों की जरुरत नही
सारे यार गुम हो गये हैं
तू से आप और तुम हो गये है
तू से आप और तुम हो गये है
मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.!!
तो, कुछ दोस्त
बहुत याद आते हैं.!!
🌹🌹🌹🌹
No comments:
Post a Comment