RAMA SINGH
चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं;
देखते हैं उनके पँख थक चुके है,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं;
हँसते हैं खिलखिलाकर,
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं;
वो बता देतें हैं सारी आपबीती,
या सिर्फ सक्सेस स्टोरी सुनाते हैं;
हमारा चेहरा देख वो,
अपनेपन से मुस्कुराते हैं;
या घड़ी की और देखकर,
हमें जाने का वक़्त बताते हैं ।
चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं...
— with S.p. Singh.दरवाज़े खटखटाते हैं;
देखते हैं उनके पँख थक चुके है,
या अभी भी फड़फड़ाते हैं;
हँसते हैं खिलखिलाकर,
या होंठ बंद कर मुस्कुराते हैं;
वो बता देतें हैं सारी आपबीती,
या सिर्फ सक्सेस स्टोरी सुनाते हैं;
हमारा चेहरा देख वो,
अपनेपन से मुस्कुराते हैं;
या घड़ी की और देखकर,
हमें जाने का वक़्त बताते हैं ।
चलो कुछ पुराने दोस्तों के,
दरवाज़े खटखटाते हैं...
kavi kon hai is kavita ka?
ReplyDeletesagar kahan is sarita ka?
kaise chal rahi hai ye nirnatar kal kal?
tahri, madhur kintu fir bhi prabal..........
kavi kon hai is kavita ka?