वो भी एक जमाना था जब हम साइकिल के पीछे घी के खाली टिन में गेंहूँ का आटा पिसवाने आटा चक्की तक जाया करते थे.....
अब चक्की भी गायब और वो घी का खाली टिन भी....
अब आने लगा है आशीर्वाद आटा पिसा पिसाया रेडीमेड। और भी कई ब्रांड हैं उसमें से एक बाबा रामदेव जी का भी है। खाने पीने की चीजों की टेस्टिंग का इतना लचर इंतजाम है कि क्या कहा जाय।
कुछ दिन पहले ही मैगी टेस्ट हुई फेल हो गई। फिर नम्बर आया कम्पलान का सुना है इसमें कीडे निकले....और यह भी कि नेस्ले दूध में भी....दूध दही का क्या कहना वह तो नकली ही बिकता है। बिस्कुट/ब्रैड बनाने वाली कंपनियां जो कोई मानक नहीं मानतीं हैं धडल्ले से चल रही हैं।
कब बनेंगे मानक? एक स्टार गरीब के लिए सस्ता माल जो सरकारी दुकानों पर उपलब्ध रहेगा। दो स्टार थोडा बेहतर जो पंसारी की दुकान पर मिलेगा जो गरीबी रेखा से कुछ ऊपर वालों को आधार कार्ड पर मिलेगा। तीन स्टार मध्यम वर्ग वालों के लिए जो बिग बाजार में मिलेगा। चार स्टार जो स्टेन्डर्ड वाले माॅल जैसे स्पेन्सर जैसों पर मिलेगा। पाँच स्टार वो जो 100% FDI वाले मालॅ में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इग्लैंड, फ्रांस इत्यादि से लाकर बेचा जायेगा और जो गोरी चमडी के लोगों को ही उपलब्ध होगा।
अपनी अपनी साइकिल ठीक करा लो। आटा गुरू उस गेंहूँ का पिसता है जो सरकारी गोदामों में बरसात में सड़ जाता है। अपनी अपनी घरवाली से कहो गेंहूँ लाकर देता हूँ पहले धो लो फिर बीनो ।
उसके बाद चक्की से पिसवाकर लाओ तो शुद्ध खाओ नहीं तो डाक्टर के पास जाओ और बीमारी होकर इलाज करने की तैयार रहो।
इतना बड़ा देश है अब कोई क्या कर सकता है...125 करोड लोग हैं....अच्छा मार्केट है...सभी अपने अपने हिसाब से चल रहे हैं।
जय भारत....
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