मैं जीते जी टूट गया।
कलम से_____
सूर्यास्त
कल का बहुत कुछ
कह गया
बादल फिर
धिरने लगे
बेमौसम मार सहते सहते
खेत खलिहान चौपट हुये
आस का दीपक
भी बुझ गया
विश्वास अब
तुझसे भी उठ गया
मैं जीते जी टूट गया।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http:// spsinghamaur.blogspot.in/
सूर्यास्त
कल का बहुत कुछ
कह गया
बादल फिर
धिरने लगे
बेमौसम मार सहते सहते
खेत खलिहान चौपट हुये
आस का दीपक
भी बुझ गया
विश्वास अब
तुझसे भी उठ गया
मैं जीते जी टूट गया।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://
- Ranvir Bhadauria, आशीष कैलाश महादेव, Suresh Chadha and 17 others like this.
- S.p. Singh पांडेय जी जिसे आज हम कृषक की त्रासदी मान रहे हैं कुल को वह हमारी सभी की त्रासदी होने वाली है। खाद्यान्न की कमी सब्जियों की कमी खेलने वाली है।पैसे होंगे बाजार में खाने पीने का सामान नहीं। पैसे पेड पर नहीं उगते सही है तो यह और अधिक सही है गेहूं और चावल खेत खलिहान में ही उगते हैं।
- Ram Saran Singh महोदय बात तो ठीक है । पर एक बात पर यक़ीन बना रहता है कि जिसने जीवन दिया है उसे ही बचाने और मारने का हक़ है । और क्या कहा जा सकता है । धन्यवाद ।
- BN Pandey Sir Mai Bhi Es Chakki Me Pish Rahaa hu... Sarkaar Kuchh Bhi Sahaayataa Karene Se Rahi... Kewal Fariyaad Ek Apane Supream Power Se Hi Ki Kaa Sakati Hai... Mai Usase Kabhi Gilaa- Shikawaa Nahi Karataa... Gita Perhane De Jo Bhi Laabh Milaa Uske Anusaar Mai Karm Yog Ke Baad sub Unhi Ke Aasare Chhor detaa hu... Wahi Paalan haar Hai... Dekhate Hai.. Desh Ki janataa ko kaise Palate Hai... Jai Shri Krishna..
- S.p. Singh भगवान की दया बनी रहे हम सभी यही चाहते हैं। आजकल के राजनीतिज्ञ तो इतना कह कर छुट्टी पा लेते हैं कि किसी कृषक ने अभी तक फसल खराब होने के बाद प्राणत्याग नहीं किया है।
- Ajay Kr Misra Sarthak prastuti, Vicharon ke aadan pradan se bahut bahut jankari ho gai. Aabhar aap sabhi ka.
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